लखनऊ की पहली आईवीएफ बेटी प्रार्थना ने दिया कन्या को जन्म, लगाया शंकाओं पर विराम
लखनऊ की पहली आईवीएफ बेटी प्रार्थना ने दिया कन्या को जन्म, लगाया शंकाओं पर विराम
लखनऊ। टेस्ट ट्यूब बेबी को लेकर लोगों के दिमाग में तमाम तरह की भ्रांतियां हैं जबकि इससे पैदा होने वाला नवजात शिशु भी सामान्य लोगों की तरह अपना जीवनयापन करता है इसका उदाहरण राजधानी की पहली टेस्ट ट्यूब बेबी प्रार्थना बनी हैं। जिन्होंने एक सप्ताह पहले स्वस्थ शिशु को जन्म दिया। यह जानकारी आलमबाग स्थित अजंता हास्पिटल एंड आइवीएफ सेंटर प्रा. लिमिटेड की विशेषज्ञ डा. गीता खन्ना ने दी।
हजरतगंज स्थित होटल क्लार्क अवध में शनिवार को डा. गीता खन्ना ने बताया कि 1998 में मेरे हाथों आइवीएफ संतान प्रार्थना का जन्म हुआ था। दो साल पहले ही उसकी शादी हुई और उसने पिछले सप्ताह अजंता अस्पताल में एक बच्ची को जन्म दिया, जिसका नाम पावनी रखा गया है। उन्होंने बताया कि ढाई दशक पहले जब लखनऊ में उन्होंने आइवीएफ शुरू किया तो उन्हें मरीजों, उनके रिश्तेदारों से सभी दिशाओं में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा था। इसके लिए मरीज को राजी करना एक कठिन काम था, पिछले 25 सालों में अब तक निसंतान दंपतियों को 8000 से अधिक आइवीएफ बच्चे दिए जा चुके हैं। 15 फीसदी दंपति को आइवीएफ की जरूरत पड़ती है।
आइवीएफ एक सामान्य प्रक्रिया : प्रार्थना ने कहा कि मां बनना मेरे जीवन का सबसे सुखद पल है। आज मां बनकर मैंने साबित कर दिया कि आइवीएफ एक सामान्य प्रक्रिया है जो संतान उत्पत्ति में तमाम बाधाओं का निराकरण करती है। मैं डाक्टर गीता खन्ना का धन्यवाद करती हूं। जिन्होंने मुझे और मेरे बच्चे को एक सामान्य जीवन दिया।
अच्छे अस्पताल का चयन करें : डा. गीता खन्ना ने कहा कि आइवीएफ की सफलता मातृ आयु और उचित रोगी चयन पर निर्भर करती है। निसंतान दंपति से अपील है कि वे एक ही छत के नीचे कुशल नवजात देखभाल के साथ एक अच्छे प्रसूति अस्पताल का चयन करें। उन्होंने बताया कि आइवीएफ पहला रास्ता नहीं है। अब हार्मोनल इंजेक्शन व नई दवाओं से 85 फीसदी दंपति की सूनी गोद बिना आइवीएफ के भर सकती है।